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South Asian Association for Regional Cooperation (SAARC)

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दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है इसकी स्थापना 8th December, 1985 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। April 3, 2007 में संघ के 14 वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवा सदस्य बन गया। सार्क दक्षिण एशियाई देश तक ही सीमित है और आज कुल आठ देशों का सदस्य हो गया है, इसके अलावा कुछ अन्य देशों जैसे म्यांमार, जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन, दक्षिण कोरिया, ईरान, मॉरीशस और यूरोपीय संघ को सार्क के पर्यवेक्षकों का दर्जा का भार दिया गया है।  इनमें सबसे बड़ा देश भारत और सबसे छोटा मालदीव है। सार्क की पृष्ठभूमि: यह 1 9 80 में वापस आ गया था जब दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय राजनीतिक और आर्थिक सहयोग की अवधारणा पहले सोचा था। बांग्लादेश के पूर्व अध्यक्ष जियाउर रहमान ने 2 मई 1980 को सार्क के बारे में औपचारिक प्रस्ताव दिया था। ढाका और अफगानिस्तान में पहले सार्क शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था, जो एकमात्र नया शामिल है जो कि सार्क की ...

कौन हैं रोहिंग्या और क्या है रखाइन का इतिहास? (Who is Rohingya and what is the history of the Rohingya?)

रोहिंग्या रोहिंग्या म‍ुस्लिम प्रमुख रूप से म्यांमार (बर्मा) के अराकान (जिसे राखिन के नाम से भी जाना जाता है) प्रांत में बसने वाले अल्पसंख्यक मुस्लिम लोग हैं।   म्यांमार शासन से बचन-बचाने से लेकर दूसरे देश में शरण पाने की फिक्र हो या अस्तित्व बचाने से लेकर भविष्य का सवाल- रोहिंग्या मुसलमानों के सामने अंधेरा ही अंधेरा है। रखाइन के बारे में रखाइन म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बांग्लादेश की सीमा पर बसा एक प्रांत है, जो 36 हजार 762 वर्ग किलोमीटर में फैला है. सितवे इसकी राजधानी है. म्यांमार सरकार की 2014 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक रखाइन की कुल आबादी करीब 21 लाख है, जिसमें से 20 लाख बौद्ध हैं. यहां करीब 29 हजार मुसलमान रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की करीब 10 लाख की आबादी को जनगणना में शामिल नहीं किया गया था. रिपोर्ट में इस 10 लाख की आबादी को मूल रूप से इस्लाम धर्म को मानने वाला बताया गया है. रोहिंग्या कौन हैं? जनगणना में शामिल नहीं की गई आबादी को रोहिंग्या मुसलमान माना जाता है. इनके बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं....