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*🍃🌼प्रजामंडल का अर्थ🌼🍃*
🏀राजस्थान में *जन जागृति पैदा कर रियासती कुशासन को समाप्त* करने उस में *व्याप्त बुराइयों*को दूर करने और *नागरिकों को उनके मौलिक अधिकार* दिलवाने की लड़ाई वाले *राजस्थान संगठनों को प्रजामंडल* कहा जाता है
*🏀अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के प्रांतीय इकाई*द्वारा चलाए गए आंदोलन *प्रजा मंडल/प्रजा परिषद/लोक परिषद आंदोलनों* के नाम से जाने जाते हैं
🏀प्रजामंडल आंदोलन *देसी रियासतों में देशी राजाओं के विरुद्ध*चलाए गए थे
*🍃🌼प्रजा मंडल स्थापना के उद्देश्य🌼🍃*
*🏀रियासती कुशासन*उस में *व्याप्त बुराइयों* को समाप्त करना
*🏀नागरिकों के मौलिक अधिकारों*की रक्षा करना
🏀राजा के संरक्षण में *रियासतों में उत्तरदायी शासन* की स्थापना करना राजा के संरक्षण में
*🍃🌼राजस्थान में राष्ट्रीय चेतना और जनजागृति के विकास के विभिन्न चरण🌼🍃*
🏀राजस्थान में *राष्ट्रीय चेतना और जन जागृति*का विकास *ब्रिटिश आधिपत्य के बाद* ही हो गया था
🏀लेकिन यह प्रयास *सफल नहीं* हो पाया था
🏀राजस्थान में *राष्ट्रीय चेतना और जन जागृति के विकास*में राज्य कई *महत्वपूर्ण परिस्थितियों ,घटनाओं, और कारणों* ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
*🌸1857के संग्राम की पृष्ठभूमि🌸*➖
☀यह *सीमित जनाक्रोश* का पहला विस्पोट था
☀जिसमें *भावी लोक चेतना* की एक *ऐसी पृष्ठभूमि*तैयार करी थी
☀जिसने आगे चलकर *राष्ट्रीय चेतना और जन जागृति*की प्रेरणा दी
*🌸सामाजिक एवं धार्मिक सुधारको का योगदान🌸➖*
☀आर्य समाज के *प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती में राजस्थान* में स्थान स्थान पर घूमकर *अपने विचारों*से *स्वर्धम, स्वदेश ,स्वभाषा,स्वराज*पर जोर दिया
☀जिससे *सामाजिक धार्मिक सुधारों* के साथ ही *राष्ट्रीय नवचेतना और जन जागृति* का संचार हुआ
☀इसी प्रकार *स्वामी विवेकानंद,साधू निश्चलदास सन्यासी, आत्माराम ,गुरु गोविंद* आदि के सतत प्रयासों से राजस्थान में *राष्ट्रीय चेतना*उत्पन्न हुई
*🌸पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव🌸➖*
*☀ब्रिटिश आधिपत्य* के बाद राजस्थान में *अंग्रेजी शिक्षा* का प्रारंभ हुआ
☀इसके प्रभाव से महत्वपूर्ण *राजनीतिक मामलों पर विचार-विमर्श*होने लगे
☀शासकों में पारस्परिक *एकता की भावना* बढी
☀ *स्वतंत्रता ,समानता ,उदारता बंधुत्व, देश प्रेम* आदि पाश्चात्य विचारों से जनता प्रभावित होकर *अपने देश की मुक्ति और अधिकारों*के प्रति सजग होने लगी
*🌸समाचार पत्रों और साहित्य की भूमिका🌸➖*
☀ब्रिटिश एवं रियासती सरकारों की *दमनकारी नीति* के बावजूद
*☀राजस्थान केसरी,लोकवाणी, सज्जन कीर्ति सुधाकर* जैसे अनेक समाचारपत्रों के माध्यम से *जन जाग्रति* पैदा की गयी
*☀सूर्यमल मिश्रण से लेकर केसरिया बारहठ*और आगे के अनेक कवियों का *जनजागृति में महत्वपूर्ण* योगदान रहा
☀इन्होने अपने *लेखों के माध्यम से निरंकुश शासन* के *दोष देशप्रेम और उसकी मुक्ति*के प्रयास किए गए
*☀जनकल्याण एक प्रजातांत्रिक संस्थाओं*के निर्माण की आवश्यकता का *प्रचार-प्रसार कर राष्ट्रीय विचारधारा*एव जन जागृति उत्पन्न की गई
*🌸यातायात संचार के साधनों की भूमिका🌸➖*
☀अंग्रेजों ने *रेल-सड़क डाक* आदि का विकास *साम्राज्यवादी हितों*के लिए किया था
☀लेकिन इसके माध्यम से *सभी व्यक्ति और राज्यों का संबंध*आपस में बढ़ा
☀भारत के विभिन्न क्षेत्रों से *संपर्क और एकता स्थापित*होने लगी
☀इससे *जनसामान्य के विचारों*का आदान प्रदान हुआ
☀जिस कारण लोगों में *राष्ट्रीय चेतना*का विकास हुआ
*🌸जनता की शोचनीय आर्थिक दशा🌸➖*
☀जनता अपनी *दुर्बल आर्थिक दशा* का कारण *निरंकुश एवं अत्याचारी राजशाही* एव उसकी *भोगविलास की प्रवृत्ति और अंग्रेजी शासन*को मानने लगी
☀इसका *उनमूलन सामूहिक रुप* से ही हो सकता है ऐसे *विचार*लोगों में पनपने लगे
⛳Dinesh Jarwal[आदित्य]Dausa RAj.⛳
*🌸प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव🌸➖*
*☀प्रथम विश्व युद्ध* में राजस्थान के *सैनिक विदेशों*में भेजे गए थे
☀वहां से वे *स्वतंत्रता, समानता ,प्रजातंत्,र देश प्रेम*आदि विचार अपने साथ लेकर आए
☀जिससे यहां की जनता को अवगत कराया और उनमें *राजनीतिक जागृति उत्पन्न*की गई
☀अनेक अवसरों पर सैनिकों ने *राजशाही के आदेशों की अवहेलना* कर जनता पर *गोली नहीं*चलाई
☀यह *परिवर्तन-घटना*एक नए युग की सूचक थी
*🌸शासकों में अंग्रेज विरोधी भावना का पनपना🌸➖*
*☀मेवाड़ अलवर भरतपुर* आदि के *ब्रिटिश विरोधी शासकों* को जब ब्रिटिश सरकार ने हटाकर उनके *पुत्रों को शासक बनाया*
☀इन घटनाओं ने जनता को *उद्वेलित* कर दिया
☀इस घटना ने लोगों को *अंग्रेज विरोधी* बना दिया
☀जिससे *राजनीतिक चेतना*को बढ़ावा दिया गया
*🌸क्रांतिकारियों का योगदान🌸➖*
*☀बीसवीं सदी* के प्रारंभ में देश में *सशस्त्र क्रांति*के द्वारा *अंग्रेजी राज्य के उन्मूलन की योजना* बनाई गई
☀इस योजना में राजस्थान के अनेक *क्रांतिकारी शहीद*हुए
☀इन्होने राजस्थान के *सोये हुए पौरूष* को जगा कर *राष्ट्रवाद की भावना* की पैदा की
*☀आदिवासी क्षेत्रों में किसान और जनजातीय आंदोलन में राजनीतिक चेतना जागृत* करने की दिशा में *असाधारण भूमिका का निर्वाह* किया
*🌸विभिन्न राजनीतिक संगठनों कानिर्माण🌸➖*
☀उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक और बीसवी सदी के प्रथमार्द्ध में *सम्य सभा (1883),सेवा समिति (1915 ),अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद (1927)* आदि ने राजस्थान की जनता के *विचारों को मूर्त रूप* दे दिया
*☀राजनीतिक चेतना*का संचार कर दिया
☀जिसकी *पूर्णाहुति प्रजामंडल आंदोलन* के द्वारा हुई
🌹यह सभी *कारण ,घटनाएं* *प्रजामंडल आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम की जननी*बने
///// *ममता जी शर्मा* /////
*🌷🌿राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम के चरण🌿🌷*
🛎राजस्थान में *स्वतंत्रता संग्राम 3 चरणों में विभाजित* किया गया था
1⃣पहला चरण➖ *प्रारम्भ से 1927*ई.के पूर्व
2⃣दूसरा चरण➖ *1927 से 1938*ई.
3⃣तीसरा चरण *1938 से 1949* ई.
⛳Dinesh Jarwal[आदित्य]Dausa RAj.⛳
*🌹प्रथम चरण*में प्रत्येक राज्य में यह संघर्ष अन्य राज्य की *घटनाओं से प्रभावित* रहकर *सामाजिक अथवा मानवतावादी समस्याओं*पर केंद्रित था
*🛎1920* में *कांग्रेस ने प्रस्ताव* पास किया था कि वह *भारतीय राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप*नहीं करेगी
🛎इस कारण प्रत्येक राज्य में *संघर्ष प्राय: राजनीतिक लक्ष्य*से विहीन ही रहा
*🌹दूसरा चरण की 1927 में ऑल इंडियन स्टेट पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद)*की स्थापना से प्रारंभ हुआ
🛎इस *संस्था* के स्थापित हो जाने से विभिन्न राज्यों के *राजनीतिक कार्यकर्ताओं* को एक ऐसा मंच मिल गया था जहां से वे *अपनी बात लोगों तक पहुंचा*सकते थे
*🛎1927 में देशी राज्य लोक परिषद् का प्रथम अधिवेशन* हुआ था
🛎इस अधिवेशन के बाद *राजस्थान के कार्यकर्ता अत्यधिक उत्साह* से वापस आए थे
🛎यह सभी कार्यकर्ता इस संस्था की *क्षेत्रीय परिषद का गठन*करना चाहते थे
🛎जिससे राजस्थान के *सभी राज्यों की गतिविधियों में समन्वय* में बना रहे
*🛎1931 में राम नारायण चौधरी ने अजमेर* में इस संस्था का *प्रथम प्रांतीय अधिवेशन* किया
*🛎जोधपुर में भी जयनारायण व्यास* ने इस प्रकार का सम्मेलन करने का प्रयास किया था
🛎लेकिन *जोधपुर दरबार की दमनात्मक नीति* के कारण इस *सम्मेलन का आयोजन ब्यावर नगर* में किया गया
🛎इतने प्रयासों के बावजूद भी *राजस्थान के राज्य की क्षेत्रीय परिषद का गठन* नहीं हो पाया
🛎इस कारण राजस्थान के *विभिन्न राज्यों के नेताओ* ने अपने अपने राज्यों में अपने ही *साधनों से आंदोलन चलाने का निश्चय*किया
*🛎प्रजामंडल की स्थापना* का आंदोलन यही से प्रारंभ हुआ
*🌹तीसरा चरण 1980* कांग्रेस के प्रस्ताव से आरंभ हुआ
🛎 इस प्रस्ताव में *देशी राज्यों में स्वतंत्रता संघर्ष* संबंधित *राज्यों के लोगों द्वारा*चलाने की बात कही ई गई थी
*🛎तीसरे चरण*से ही *प्रजामंडल की स्थापना के आंदोलन* की शुरुआत हुई
*🛎1938* के बाद विभिन्न राज्यों में *प्रजामंडल अथवा राज्य परिषद*की स्थापना हुई
🛎प्रत्येक राज्य के लोगों ने *राजनीतिक अधिकारों और उत्तरदायी शासन* के लिए आंदोलन किए
*🎄🌺राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम🌺🎄*
🛎राजस्थान के *स्वाधीनता संघर्ष*के आरंभिक चरण में *किसान और जनजातियों का रियासती शासन के विरुद्ध संघर्ष*था
🛎इस चरण में *1897 प्रारंभ होकर 1941* तक चलने वाला *बिजोलिया किसान आंदोलन प्रमुख*था
🛎यह आंदोलन *स्थानीय आर्थिक धार्मिक मुद्दों*पर आधारित थे
🛎इन आंदोलनों में *राष्ट्रीयता की भावना और सामान्य जन भागीदारी*का भी अभाव था
*🛎भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस* की स्थापना *1885* में हुई थी
🛎लेकिन *रियासतों*में लंबे समय तक *कांग्रेस या उसके समानांतर संगठन*नहीं बन पाए थे
🛎क्योंकि रियासतों की *जनता दोहरी गुलामी* का शिकार थी और *जनता राष्ट्रीय धारा से अलग* पड़ गई थी
🛎कांग्रेस भी *रियासतों के प्रति तटस्थ*थी
🛎कांग्रेस नहीं चाहती थी कि *अंग्रेजों के साथ साथ रियासती राजाओं के साथ भी संघर्ष प्रारंभ* हो
*🛎महात्मा गांधी के राजनीतिक उत्थान*के पश्चात ब्रिटिश आंदोलन की हवा *रियासतों* में भी पहुंचने लगी
*🛎स्थानीय समस्याओं* को लेकर विभिन्न प्रकार के *आंदोलन* होने लगे और विभिन्न *राजनीतिक संगठनों की स्थापना* होने लगी होने लगा
⛳Dinesh Jarwal[आदित्य]Dausa RAj.⛳
*🌿🍓नारायणी देवी वर्मा🍓🌿*
*🌹 नारायणी देवी वर्मा का *जन्म मध्यप्रदेश की सिंगोली कस्बे मे रामसहाय भटनागर के यहां 1902* में हुआ था
*🌹12 वर्ष की आयु में इनका विवाह* माणिक्य लाल वर्मा के साथ संपन्न हुआ था
🌹जो *बिजोलिया ठिकाने* मे नौकरी किया करते थे
🌹जागीरदार के *अत्याचारों को देख माणिक्य लाल जी ने जब आजीवन आम जन की सेवा का संकल्प* लिया तो नारायणी देवी *इस व्रत में उनकी सहयोगिनी* बनी
*🌹बीमारी के दौरान इलाज के अभाव में इनके दो पुत्रों की मृत्यु*भी उन्हें इस सेवा कार्य से *विरत नहीं कर* सकी
🌹माणिक्य लाल वर्मा द्वारा *1934 में सागवाड़ा में खांडलोई आश्रम* की स्थापना की गई थी नारायणी देवी द्वारा *खांडलोई में भी भीलों के मध्य शिक्षा प्रसार* हेतु कार्य किया गया था
*🌹1939 में प्रजामंडल के कार्य में भाग लेने के कारण उन्हें जेल जाना*पड़ा और *राज्य से निर्वासित कर* दिया गया
🌹 वह *अजमेर आई और राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारने* के लिए प्रयास किए ताकी *रचनात्मक कार्य प्रयास* प्रारंभ किए जा सकते हैं
🌹इसी समय *मेवाड़ में भयंकर अकाल* पड़ा तो इन्होंने *अकाल सहायता समिति का गठन* किया
🌹भारत छोड़ो आंदोलन के समय भी नारायणी देवी वर्मा *अपनी 6माह के पुत्र के साथ जेल* गई थी
*🌹1944 में भीलवाड़ा*आ गई और यहां पर *14 नवंबर 1944 को महिला आश्रम* की स्थापना की
🌹संस्था की स्थापना का *उद्देश्य स्वतंत्रता सेनानियों की पत्नियां और उनके परिवारजनों को शिक्षित*करना
🌹उनके परिवारों के *भरण पोषण की व्यवस्था*करना था
🌹1952-53 में माणिक्य लाल वर्मा के साथ मिलकर *आदिवासी कन्या छात्रावास की स्थापना*की
🌹वर्मा जी के निधन के बाद *1970 से 76 तक राज्यसभा की सदस्य* रही
*🌹12 मार्च 1977* को उनका देहांत हो गया
///// *ममता जी शर्मा* /////
*🌷🌿राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम के चरण🌿🌷*
🛎राजस्थान में *स्वतंत्रता संग्राम 3 चरणों में विभाजित* किया गया था
1⃣पहला चरण➖ *प्रारम्भ से 1927*ई.के पूर्व
2⃣दूसरा चरण➖ *1927 से 1938*ई.
3⃣तीसरा चरण *1938 से 1949* ई.
*🌹प्रथम चरण*में प्रत्येक राज्य में यह संघर्ष अन्य राज्य की *घटनाओं से प्रभावित* रहकर *सामाजिक अथवा मानवतावादी समस्याओं*पर केंद्रित था
*🛎1920* में *कांग्रेस ने प्रस्ताव* पास किया था कि वह *भारतीय राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप*नहीं करेगी
🛎इस कारण प्रत्येक राज्य में *संघर्ष प्राय: राजनीतिक लक्ष्य*से विहीन ही रहा
*🌹दूसरा चरण की 1927 में ऑल इंडियन स्टेट पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद)*की स्थापना से प्रारंभ हुआ
🛎इस *संस्था* के स्थापित हो जाने से विभिन्न राज्यों के *राजनीतिक कार्यकर्ताओं* को एक ऐसा मंच मिल गया था जहां से वे *अपनी बात लोगों तक पहुंचा*सकते थे
*🛎1927 में देशी राज्य लोक परिषद् का प्रथम अधिवेशन* हुआ था
🛎इस अधिवेशन के बाद *राजस्थान के कार्यकर्ता अत्यधिक उत्साह* से वापस आए थे
🛎यह सभी कार्यकर्ता इस संस्था की *क्षेत्रीय परिषद का गठन*करना चाहते थे
🛎जिससे राजस्थान के *सभी राज्यों की गतिविधियों में समन्वय* में बना रहे
*🛎1931 में राम नारायण चौधरी ने अजमेर* में इस संस्था का *प्रथम प्रांतीय अधिवेशन* किया
*🛎जोधपुर में भी जयनारायण व्यास* ने इस प्रकार का सम्मेलन करने का प्रयास किया था
🛎लेकिन *जोधपुर दरबार की दमनात्मक नीति* के कारण इस *सम्मेलन का आयोजन ब्यावर नगर* में किया गया
🛎इतने प्रयासों के बावजूद भी *राजस्थान के राज्य की क्षेत्रीय परिषद का गठन* नहीं हो पाया
🛎इस कारण राजस्थान के *विभिन्न राज्यों के नेताओ* ने अपने अपने राज्यों में अपने ही *साधनों से आंदोलन चलाने का निश्चय*किया
*🛎प्रजामंडल की स्थापना* का आंदोलन यही से प्रारंभ हुआ
*🌹तीसरा चरण 1980* कांग्रेस के प्रस्ताव से आरंभ हुआ
🛎 इस प्रस्ताव में *देशी राज्यों में स्वतंत्रता संघर्ष* संबंधित *राज्यों के लोगों द्वारा*चलाने की बात कही ई गई थी
*🛎तीसरे चरण*से ही *प्रजामंडल की स्थापना के आंदोलन* की शुरुआत हुई
*🛎1938* के बाद विभिन्न राज्यों में *प्रजामंडल अथवा राज्य परिषद*की स्थापना हुई
🛎प्रत्येक राज्य के लोगों ने *राजनीतिक अधिकारों और उत्तरदायी शासन* के लिए आंदोलन किए
*🎄🌺राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम🌺🎄*
🛎राजस्थान के *स्वाधीनता संघर्ष*के आरंभिक चरण में *किसान और जनजातियों का रियासती शासन के विरुद्ध संघर्ष*था
🛎इस चरण में *1897 प्रारंभ होकर 1941* तक चलने वाला *बिजोलिया किसान आंदोलन प्रमुख*था
🛎यह आंदोलन *स्थानीय आर्थिक धार्मिक मुद्दों*पर आधारित थे
🛎इन आंदोलनों में *राष्ट्रीयता की भावना और सामान्य जन भागीदारी*का भी अभाव था
*🛎भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस* की स्थापना *1885* में हुई थी
🛎लेकिन *रियासतों*में लंबे समय तक *कांग्रेस या उसके समानांतर संगठन*नहीं बन पाए थे
🛎क्योंकि रियासतों की *जनता दोहरी गुलामी* का शिकार थी और *जनता राष्ट्रीय धारा से अलग* पड़ गई थी
🛎कांग्रेस भी *रियासतों के प्रति तटस्थ*थी
🛎कांग्रेस नहीं चाहती थी कि *अंग्रेजों के साथ साथ रियासती राजाओं के साथ भी संघर्ष प्रारंभ* हो
*🛎महात्मा गांधी के राजनीतिक उत्थान*के पश्चात ब्रिटिश आंदोलन की हवा *रियासतों* में भी पहुंचने लगी
*🛎स्थानीय समस्याओं* को लेकर विभिन्न प्रकार के *आंदोलन* होने लगे और विभिन्न *राजनीतिक संगठनों की स्थापना* होने लगी होने लगा
⛳Dinesh Jarwal[आदित्य]Dausa RAj.⛳
*🌿🍓नारायणी देवी वर्मा🍓🌿*
*🌹 नारायणी देवी वर्मा का *जन्म मध्यप्रदेश की सिंगोली कस्बे मे रामसहाय भटनागर के यहां 1902* में हुआ था
*🌹12 वर्ष की आयु में इनका विवाह* माणिक्य लाल वर्मा के साथ संपन्न हुआ था
🌹जो *बिजोलिया ठिकाने* मे नौकरी किया करते थे
🌹जागीरदार के *अत्याचारों को देख माणिक्य लाल जी ने जब आजीवन आम जन की सेवा का संकल्प* लिया तो नारायणी देवी *इस व्रत में उनकी सहयोगिनी* बनी
*🌹बीमारी के दौरान इलाज के अभाव में इनके दो पुत्रों की मृत्यु*भी उन्हें इस सेवा कार्य से *विरत नहीं कर* सकी
🌹माणिक्य लाल वर्मा द्वारा *1934 में सागवाड़ा में खांडलोई आश्रम* की स्थापना की गई थी नारायणी देवी द्वारा *खांडलोई में भी भीलों के मध्य शिक्षा प्रसार* हेतु कार्य किया गया था
*🌹1939 में प्रजामंडल के कार्य में भाग लेने के कारण उन्हें जेल जाना*पड़ा और *राज्य से निर्वासित कर* दिया गया
🌹 वह *अजमेर आई और राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारने* के लिए प्रयास किए ताकी *रचनात्मक कार्य प्रयास* प्रारंभ किए जा सकते हैं
🌹इसी समय *मेवाड़ में भयंकर अकाल* पड़ा तो इन्होंने *अकाल सहायता समिति का गठन* किया
🌹भारत छोड़ो आंदोलन के समय भी नारायणी देवी वर्मा *अपनी 6माह के पुत्र के साथ जेल* गई थी
*🌹1944 में भीलवाड़ा*आ गई और यहां पर *14 नवंबर 1944 को महिला आश्रम* की स्थापना की
🌹संस्था की स्थापना का *उद्देश्य स्वतंत्रता सेनानियों की पत्नियां और उनके परिवारजनों को शिक्षित*करना
🌹उनके परिवारों के *भरण पोषण की व्यवस्था*करना था
🌹1952-53 में माणिक्य लाल वर्मा के साथ मिलकर *आदिवासी कन्या छात्रावास की स्थापना*की
🌹वर्मा जी के निधन के बाद *1970 से 76 तक राज्यसभा की सदस्य* रही
*🌹12 मार्च 1977* को उनका देहांत हो गया
///// *ममता जी शर्मा* /////
*🍃🌼स्वतंत्रता संग्राम के लिए स्थापित राजस्थान के विभिन्न में संगठन🌼🍃*
*🎋🍁राजपूताना मध्य भारत सभा🍁🎋*
*🍇जयपुर स्टेट इन ब्रिटिश राज 1933 के लेखक रॉबर्ट डब्ल्यू स्टेर्न* के द्वारा सन् *1918 में दिल्ली*में आयोजित *कांग्रेस अधिवेशन में राजस्थान के कई व्यक्तियों* ने भाग लिया था
🍇जिसके परिणाम स्वरुप *उनका संपर्क अंग्रेजी भारत और अन्य राज्यों के नेताओं*से हुआ
🍇इस अधिवेशन के बाद *गणेश शंकर विद्यार्थी, विजय सिंह पथिक, जमुनालाल बजाज ,चांद करण शारदा ,गिरधर शर्मा, स्वामी नृसिंहदेव सरस्वती* आदि ने इस अधिवेशन में भाग लिया था
🍇इन सभी के प्रयासों से *1918 में राजपूताना मध्य भारत सभा नाम* की एक राजनीतिक संस्था की स्थापना की गई
🍇इस संस्था री स्थापना *दिल्ली के चांदनी चौक स्थित मारवाड़ी पुस्तकालय* में हुई थी
🍇जहां इस का *प्रथम अधिवेशन महामहोपाध्याय पंडित गिरधर शर्मा की अध्यक्षता* में आयोजित किया गया था
🍇इस सभा का *मुख्य उद्देश्य रियासतों में उत्तरदायी* सरकार की स्थापना करना
🍇रियासत के लोगों को *कांग्रेस का सदस्य*बनाना
🍇इस संस्था का *मुख्य कार्यालय कानपुर* में रखा गया
🍇कानपुर *उत्तरी भारत में मारवाड़ी पूजीपत्तियों और मजदूरों का सबसे बड़ा*केंद्र था
🍇राजपूताना मध्य भारत सभा का *अध्यक्ष सेठ जमुनालाल बजाज* को बनाया गया
🍇इस सभा का *उपाध्यक्ष गणेश शंकर विद्यार्थी*को बनाया गया
🍇यहां से *गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा प्रताप नामक साप्ताहिक पत्र* प्रकाशित होता था
🍇जो इस क्षेत्र का *प्रमुख राष्ट्रीय पत्र*था
🍇प्रताप समाचार पत्र नें ही *बिजोलिया किसान आंदोलन को अखिल भारतीय स्तर* पर चर्चित किया था
🍇इस पत्र मैं राजस्थान में *राजनीतिक हलचल के प्रसार* में अपना योगदान दिया
🍇सभा के सदस्य ने इस सभा को *कांग्रेस की सहयोगी संस्था बनाने* की कोशिश की
🍇लेकिन *प्रारंभ में यह सफल नहीं*हुए
🍇राजपुताना मध्य भारत का *दूसरा अधिवेशन कांग्रेस अधिवेशन* के साथ ही *दिसंबर 1919 में अमृतसर* में हुआ था
🍇इस संस्था का *तीसरा अधिवेशन मार्च 1920* में *सेठ जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में अजमेर* में आयोजित किया गया था
🍇इस सभा का *चौथा अधिवेशन दिसंबर 1920 में नागपुर* में हुआ था
🍇उस समय *भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन भी नागपुर* में हो रहा था
*🍇नागपुर अधिवेशन के समय 1920 में राजपूताना मध्य भारत सभा को कांग्रेस की सहयोगी* संस्था मान लिया गया
🍇राजपूताना मध्य भारत सभा के *चौथे अधिवेशन के अध्यक्ष नरसिंह चिंतामणि केलकर* निर्वाचित हुए थे
🍇कुछ कारणें से वह *नागपुर नहीं पहुंच* पाए
🍇इस कारण *जयपुर के गणेश नारायण सोमानी को सर्वसम्मति से सभा का अध्यक्ष*चुना गया
🍇अधिवेशन में *एक प्रदर्शनी* भी लगाई थी जो *किसानों की दयनीय स्थिति को दर्शाती* थी
🍇 राजस्थान के नेताओं के *दबाव के कारण कांग्रेस में एक प्रस्ताव* पारित किया
🍇जिसमें *राजस्थान के राजाओं से आग्रह* किया गया कि वह *अपनी प्रजा को शासन*में भागीदार बनाएं
*🍇राजपूताना मध्य भारत सभा 1920* के बाद सक्रिय नहीं रह पाई
*🎋🍁राजस्थान सेवा संघ🍁🎋*
*🍇राजस्थान सेवा संघ का गठन 1919 में वर्धा मे श्री अर्जुनलाल सेठी केसरी सिंह बारहठ और विजय सिंह पथिक* के संयुक्त प प्रयासों से किया गया था
🍇इस संस्था ने *स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण* भूमिका निभाई थी
🍇इस संस्था का मुख्य *उद्देश्य जनता की समस्याओं का निवारण* करना
*🍇जागीरदारों और राजाओं का अपनी प्रजा के साथ सौहार्दपूर्ण* संबंध स्थापित करवाना
🍇जनता में *राष्ट्रीय और राजनीति चेतना जाग्रत* करना
🍇इस संस्था ने *राजस्थान में राजनीतिक प्रचार* के लिए *22 अक्टूबर 1920 से वर्धा* से *राजस्थान केसरी नामक* समाचार पत्र प्रकाशित किया गया था
#imp*🍇विजय सिंह पथिक* इस पत्रिका के संपादक थे और *रामनारायण चौधरी सह संपादक* थे
🍇राजस्थान केसरी समाचार पत्र के लिए *आर्थिक सहायता मुख्य रूप से जमुनालाल बजाज* ने की थी
#imp🍇यह *पहला पत्र*था जो *राजस्थानी लोगों द्वारा प्रकाशित*किया गया था
*🍇1920* में इस संस्था का *मुख्यालय अजमेर में स्थानांतरित* किया गया
🍇राजस्थान सेवा संघ की *शाखाएं बूंदी जयपुर जोधपुर सीकर खेतडी कोटा* आदि स्थानों पर खोली गई थी
🍇राजस्थान सेवा संघ ने *बिजोलिया और बेगू में किसान आंदोलन सिरोही और उदयपुर में भील आंदोलन का मार्गदर्शन* किया था
🍇ब्रिटिश सरकार *राजस्थान सेवा संघ की गतिविधियों से सशंकित* थी
#imp🍇श्री विजय सिंह पथिक ने *1921 में अजमेर से नवीन राजस्थान समाचार पत्रिका प्रकाशन* प्रारंभ किया गया
#imp*🍇ब्रिटिश सरकार द्वारा नवीन राजस्थान समाचार पत्र पर प्रतिबंध*लगा दिया गया
#imp🍇उसके बाद यह समाचार पत्र *तरुण राजस्थान* के नाम से निकाला गया
*🍇तरूण राजस्थान पत्र*के संपादन में *शोभालाल गुप्त रामनारायण चौधरी जयनारायण व्यास*आदि नेताओं ने योगदान दिया
#imp*🍇मार्च 1924* में *राम नारायण चौधरी और शोभालाल गुप्त* को तरुण राजस्थान में *देशद्रोहात्मक सामग्री प्रकाशित* करने के अपराध में गिरफ्तार किया गया
*🍇1924 में मेवाड़ राज्य सरकार* द्वारा पथिक को *कैद किए*जाने के बाद से *राजस्थान सेवा संघ* के पदाधिकारियों और सदस्यों में *आपसी मतभेद*शुरू हो गए
🍇धीरे-धीरे *मतभेद की खाई* इतनी गहरी हो गई की *1928-29* तक *राजस्थान सेवा संघ पूर्णतया प्रभावहीन* हो गया
*🎋🍁सर्व हितकारिणी सभा🍁🎋*
#imp*सर्व हितकारिणी सभा*की स्थापना सन् *1907*में *स्वामी गोपाल दास व कन्हैया लाल ढूंढ ने चूरु*में की थी
🍇इन्होने *बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित* करने हेतु *चूरु में पुत्री पाठशाला* की स्थापना की थी
#imp*🍇दलितों में शिक्षा* के प्रचार प्रसार हेतु इन्होनें *कबीर पाठशाला की स्थापना*की गई
#imp🍇सर्व हितकारिणी सभा *एक सामाजिक शैक्षणिक संस्था* थी
*🎋🍁वर्धमान विद्यालय🍁🎋*
#imp🍇इसकी स्थापना *श्री अर्जुनलाल सेठी द्वारा 1907 में जयपुर* में की गई थी
🍇यह संस्था *स्वतंत्रता संग्राम* के समय *राजस्थान की क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र* बन गई थी
*🎋🍁जयपुर हितकारिणी सभा🍁🎋*
#imp*🍇पंडित हीरालाल शास्त्री*की प्रेरणा से *जयपुर हितकारिणी सभा* का गठन किया गया
🍇इस के *अध्यक्ष श्री बाल चंद शास्त्री व मंत्री केसर लाल कटारिया* थे
*🎋🍁मारवाड़ सेवा संघ🍁🎋*
🍇इस संघ का गठन *1920 में श्री जयनारायण व्यास में जोधपुर*में किया था
🍇इस संघ के *अध्यक्ष श्री दुर्गा शंकर और मंत्री श्री प्रयाग राज भंडारी* थे
#imp🍇यह मारवाड़ राज्य की *दूसरी राजनीतिक संस्था*थी
#imp🍇इस संस्था के नेतृत्व में ही *चांदमल सुराणा और उनके साथियों ने जोधपूर मे मारवाड़ का तोल आंदोलन* किया था
🍇मारवाड़ सरकार ने *100तौले के स्थान पर 80 तौले का सेर प्रचलित*करने का निर्णय लिया था
🍇मारवाड़ सेवासंघ ने इसके विरुद्ध *सफल हड़ताल* का आयोजन किया
🍇आंदोलन के बाद सरकार को *नया तौल जारी करने का निर्णय निरस्त* करना पडा
🍇इस संघ का *कार्यक्षेत्र अधिक विस्तृत* था
*🎋🍁मारवाड़ हितकारिणी सभा🍁🎋*
🍇जोधपुर में जन आंदोलन की शुरुआत *1918 में चांदमल सुराणा द्वारा मारवाड़ हितकारिणी सभा* की स्थापना से मानी जाती है
🍇मारवाड़ सेवा संघ के निष्क्रिय हो जाने के पश्चात *जय नारायण व्यास द्वारा इस सभा को 1923 में पुनर्गठित* किया गया था
#imp🍇मारवाड़ हितकारिणी सभा की *पहली स्थापना चांदमल सुराणा*द्वारा की गई थी
#imp🍇मारवाड़ हितकारिणी सभा द्वारा *किसानों की ओर ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से ""पोपाबाई की पोल"" और ""मारवाड़ की अवस्था""* नाम से *दो पुस्तकें*प्रकाशित की गई थी
*🎋🍁मारवाड यूथ लीग🍁🎋*
*🍇10 मई 1931* को जोधपुर में *जय नारायण व्यास*के निवास स्थान पर *मारवाड यूथ लीग नामक संस्था* की स्थापना की गई थी
🍇इस संस्था का प्रमुख *उद्देश्य जोधपुर के साथ साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जन चेतना का प्रसार* करना था
🍇इस लीग को राज्य सरकार द्वारा *अवैध घोषित करने से पूर्व ही एक अन्य संस्था बाल भारत सभा* बनाई गई
🍇बाल भारत सभा का *मंत्री छगन लाल चौपासनीवाला* को बनाया गया
*🎋🍁मारवाड़ राज्य लोक परिषद🍁🎋*
🍇मारवाड़ राज्य लोक परिषद के गठन में *जोधपुर राज्य में किसान आंदोलन के नए युग*का शुभारंभ किया
🍇इस परिषद का *प्रथम सम्मेलन 25 नवंबर 1931 को चांद करण शारदा की अध्यक्षता*में *अजमेर के निकट पुष्कर* में आयोजित किया गया था
*🍇कस्तूरबा गांधी काकासाहेब कालेलकर मनीभाई कोठारी*ने इस सम्मेलन में भाग लिया था
*🎋🍁हरि कीर्तन समाज🍁🎋*
*🍇1925 26 में अलवर में हरि कीर्तन* समाज की स्थापना की गई
🍇इस संस्था को आगे चलकर *राजर्षि अभय समाज* के नाम से जाना गया *अलवर आंदोलनों से ही प्रजामंडल आंदोलन की वास्तविक* शुरुआत हुई थी
*🎋🍁साहित्य प्रचारिणी सभा🍁🎋*
🍇इस सभा का गठन *कुँवर मदन सिंह और पूरण सिंह ने 1915 में करौली*में किया था
🍇बाद में इसका नाम *साहित्य परिषद*कर दिया गया
*🍇1920 में करौली के तत्कालीन दीवान* ने इस सभा को *करौली की प्रतिनिधि सभा के रूप*में स्वीकार कर लिया था
*🎋🍁आचार सुधारनी सभा🍁🎋*
#imp*🍇1910 में यमुना प्रसाद वर्मा ने धौलपुर* में आचार सुधारिणी सभा की स्थापना की थी *1911 में यमुना प्रसाद और ज्वाला प्रसाद*नें धौलपुर में आर्य समाज की स्थापना की थी
*🍇8 अगस्त 1918 को स्वामी श्रद्धानंद के नेतृत्व* में धौलपुर में *प्रशासन और स्वदेशी आंदोलन* प्रारंभ हुआ था
*🍇स्वामी श्रद्धानंद की मृत्यु*के बाद यह आंदोलन समाप्त हो गया था
*🎋🍁तिलक समिति🍁🎋*
#imp*🍇शेखावाटी में 1924* में तिलक समित की स्थापना की गई थी
🍇इस *समिति की शाखाएं*अलग-अलग स्थानों पर स्थापित की गई थी
🍇इस समिति का *उद्देश्य समाजसेवा*था
🍇वास्तव में समिति *शेखावाटी में राष्ट्रीय विचारों के प्रसार* का कार्य करती थी
*🎋🍁मित्र मंडल🍁🎋*
#imp🍇मित्र मंडल नामक संगठन की *स्थापना बाबू मुक्ता प्रसाद ने बीकानेर* में की थी
#imp🍇इसके द्वारा *बीकानेर स्टेशन पर पानी पिलाने व लावारिस मृतकों का दाह संस्कार* आदि कार्य किया जाता था
🍇किंतु यह संस्था *वास्तव में कांग्रेस के सिद्धांतों के प्रचार*का कार्य करती थी
*🎋🍁हिंदी साहित्य समिति🍁🎋*
*🍇हिंदी साहित्य समिति की स्थापना 1912*में *जगन्नाथ दास अधिकारी द्वारा भरतपुर* में की गई थी
🍇इस समिति ने *भरतपुर में एक विशाल पुस्तकालय*की स्थापना की थी
#imp*🍇जगन्नाथदास अधिकारी द्वारा 1920 में दिल्ली से वैभव* नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया था
#imp*🍇1927 में हिंदी साहित्य समिति*द्वारा *भरतपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन*का आयोजन किया था
🍇इस सम्मेलन की *अध्यक्षता पंडित गौरीशंकर हीरानंद ओझा*ने की थी
#imp🍇इस सम्मेलन में *रविंद्र नाथ टैगोर ,जमनालाल बजाज*आदि ने भाग लिया था
🍇इस सम्मेलन से व भरतपुर आए *विशिष्टजनों के प्रभाव* के कारण *भरतपुर के महाराजा किशन सिह* ने भरतपुर में *हिंदी को राजभाषा*बनाने *गांव व नगरों में स्वायत्तशासी संस्थाओं*को विकसित करने और *रियासत में उत्तरदायी* शासन की स्थापना का *प्रचार प्रारंभ करने की घोषणा*की थी
🍇महाराजा की घोषणाओं से *नाराज अंग्रेजों ने किशन सिह* को *गद्दी से हटा* दिया था और *दीवान मैकेन्जी*को *भरतपुर का प्रशासक* नियुक्त किया था
*🍇जगन्नाथदास अधिकारी को राज्य से निवासित*कर दिया गया था
*🎋🍁सिवील लिबर्टीज यूनियन🍁🎋*
*🍇1936 में इस संस्था की प्रांतो और देशी राज्यो में कांग्रेस की सहयोगी संस्था* के रुप में स्थापना की गई थी
*🍇जोधपुर* में भी इस यूनियन की शाखा की स्थापना हुई थी
///// *ममता जी शर्मा* /////
🍃🌼स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम चरण के बाद राजस्थान मैं बदलाव🌼🍃*
💥स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम चरण में *राजस्थान के क्रांतिकारियों की राजद्रोहात्मक गतिविधियों* से पूर्ण *सफलता* प्राप्त नहीं हुई
💥लेकिन आंदोलनों ने *राजस्थान की जनता में राष्ट्रीय चेतना और जन जागरूकता*का विकास विकास किया
💥इन आंदोलनों का राज्य में *अंग्रेज विरोधी जनमत तैयार*करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा
*💥बेगू बिजोलिया बूंदी*किसान आन्दोलन और *सूर्जी भगत *गोविंद गुरु और मोतीलाल तेजावत* के नेतृत्व में हुए *भील आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका* निभाई
💥इन आंदोलनों के द्वारा राज्य की जनता में *राजनीतिक चेतना* का विकास हुआ
*💥आत्मविश्वास*उत्पन्न हुआ और यहां की *जनता अपने अधिकारों*के प्रति सजग हुई
*💥1921 में महात्मा गांधी*चलाए गए *असहयोग आंदोलन*का प्रभाव *राजस्थान* पर भी पड़ा
💥 इस आंदोलन से राजस्थान के लोगों में भी *देशप्रेम की भावना जागृत* हुई और राज्य में *निरंकुश शासन के प्रति रोष* उत्पन्न हुआ
*💥जोधपुर में भवरलाल सरार्फ सत्याग्रही ने तिरंगा झंडा* लेकर शहर में घुमाया
💥झंडे पर *एक और महात्मा गांधी और दूसरी ओर स्वराज्य* लिखा हुआ था
💥भवरलाल सरार्फ ने *जोधपुर में एक भाषण* दिया था
💥जिसे लोगों ने *पूर्ण एकाग्रता और उत्साह*से सुना था
*💥टोंक राज्य* की जनता ने भी कांग्रेस के प्रति पूर्ण *सहानुभूति और असहयोग आंदोलन*का अनुमोदन किया था
💥इस घटना के कारण अंग्रेजों ने यहां के नेता *मौलवी अब्दुल रहीम सय्यद जुबेर मियां सेयद इस्माइल मियां*आदि को गिरफ्तार कर लिया गया था
*💥जयपुर* राज्य में *जमनालाल बजाज ने अपनी रायबहादुर* की उपाधि लौटा दी और *एक लाख रुपए तिलक स्वराज्य कोष* में जमा किया था
💥जमना लाल बजाज को *अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी* की कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया
💥जमनालाल बजाज से प्रेरित होकर राजस्थान के *व्यापारी* ने भी इस आंदोलन के दौरान *कांग्रेस को आर्थिक सहयोग* दिया था
*💥1921 में बिकानेर में मुक्ताप्रसाद वकील* आदि ने *विदेशी कपड़ों की होली जलाई*और *खादी पहनने का व्रत* लिया
💥बीकानेर में *अंग्रेजों के विरुद्ध प्रदर्शन*प्रदर्शित करने के लिए *खादी भंडार* भी खोला गया
*💥15 मार्च 1931 को अजमेर* में *वित्तीय राजनीतिक सम्मेलन* का आयोजन किया गया
💥सम्मेलन की *अध्यक्षता मौलाना शौकत अली*द्वारा की गई
💥इस सम्मेलन में *मोतीलाल नेहरू* भी उपस्थित थे
*💥मौलाना शौकत अली* के नेतृत्व में *विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार* का आह्वान किया गया
*💥अजमेर में पंडित गौरीशंकर*के नेतृत्व में *विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार* किया गया
💥इस कार्य में *अर्जुन लाल सेठी, चांद करण शारदा* आदि ने भाग लिया
*💥प्रथम विश्वयुद्ध*के समय राजस्थान के राजाओं ने *पूरी श्रद्धा से ब्रिटिश सरकार को सहायता* प्रदान करी थी और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति *पूर्ण निष्ठा का परिचय* दिया था
💥ब्रिटीश सरकार ने भी उन्हें अपना *विश्वसनीय सहयोगी मानकर युद्ध संचालन* में भागीदार बनाया था
💥बीकानेर के महाराजा *गंगासिंह को साम्राज्य युद्ध मंत्रिमंडल और साम्राज्य युद्ध सम्मेलन* का सदस्य मनोनीत किया गया था
💥इन्हें जर्मनी से वार्ता में भाग लेने के लिए *भारत का प्रतिनिधित्व करने हेतु पेरिस* भेजा गया
*💥प्रथम विश्व युद्ध* की समाप्ति के बाद वायसराय की अध्यक्षता में *नरेंद्र मंडल की स्थापना*की गई थी इस
*💥नरेंद्र मंडल* के द्वारा *देशी राजा अपने राज्य और भारत सरकार से संबंधित समस्याओ*ं पर विचार विमर्श कर सकते थे
: 💥ब्रिटिश सरकार द्वारा देशी राजा को बताया गया कि *राष्ट्रवादी मध्यवर्गी लोग किसान मजदूर*आदि ब्रिटिश सरकार और देशी नरेशों के लिए *अशांति और खतरा उत्पन्न* करने का कारण बन सकते हैं
💥ब्रिटिश प्रशासकों ने *मेवाड़ के बिजोलिया ठिकाने में किसान पंचायतों*की स्थापना की गई
💥 इन पंचायतों की *आत्मनिर्भरता की तुलना रूसी सोवियतो* से की गई और
💥बिजोलिया किसान आंदोलन के सूत्रधार *पथिक को विप्लववादी* कहा गया और ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा *समान हितों की बात कह कर देशी राज्यों का सहयोग*प्राप्त करने का प्रयास किया गया
💥देसी राज्य ब्रिटिश सत्ता के साथ जुड़े होने के कारण राजस्थान के *राजाओं ने असहयोग आंदोलन को अपने अस्तित्व के लिए खतरा* माना
💥इस कारण *बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने अपने राज्य के शिव मूर्ति सिह, संपूर्णानंद और आनंद वर्मा*को सरकारी नौकरी से निकाल दिया
💥इन सभी को *सरकारी नौकरी से निकालने का कारण*इनके द्वारा *स्वदेशी वस्त्र पहनना और तिलक स्वराज्य कोष मे चंदा*जमा करना था
💥उदयपुर के *महाराणा फतेह सिंह*ने विवश हो कर अपने *युवराज भूपाल सिंह को 28 जुलाई 1921* को शासनाधिकार सौंप दिये
💥युवराज ने *अंग्रेज सरकार* की इच्छा अनुसार *मंत्री मंडल* बनाया और *राजस्व विभाग जैसा महत्व विवाग एक अंग्रेज अधिकारी मिस्टर ट्रेंच* को सौंप दिया गया
💥ब्रिटिश सरकार का लगभग अब *यह प्रयास* था की राजस्थान के *राज्यों में अंग्रेज मंत्रियो*ं की नियुक्ति की जाए
💥जिस से राज्य में बढ़ती हुई *राजनीतिक चेतना पर नियंत्रण* रखा जा सके
💥इस कारण राज्य के कई *जिले सिरोही बूंदी जोधपुर जयपुर में अंग्रेज नियुक्ति* की गई और जहां ऐसा संभव नहीं हुआ *वहां बाहर के व्यक्तियों को उच्च पदों पर नियुक्त* किया गया
💥 राजस्थान के *अनेक राज्यों में राजाओं से उनके प्रशासन का अधिकार छीन कर दीवानों और निरकुंश नौकर तंत्र* को दे दिया गया था
*💥बीसवीं शताब्दी*के तृतिय दशक तक राज्य में बहुत बड़ी संख्या में *शिक्षित लोग मौजूद*थे
💥जिन्हें *राज्य में कार्य करने का अवसर प्रदान नहीं* किया गया था
💥इसके कारण इन में *असंतोष फेल* गया
💥 इस शिक्षित वर्ग ने *प्रचलित व्यवस्था में अनियमिताओं को उजागर कर जनता में जागृति* उत्पन्न की
💥इन्होंने *नागरिक अधिकारों और उत्तरदायी सरकार*की स्थापना के लिए *संघर्ष प्रारंभ* किया और *जन आंदोलनों को नेतृत्व*प्रदान किया
💥इन *संघर्ष और आंदोलन* से राजस्थान में एक *नए युग का सूत्रपात*हुआ और *प्रजामंडल आंदोलन* की शुरुआत हुई
: *🍃🌼अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् का गठन (द्वितीय चरण1927-1938)🌼🍃*
*🌱स्वतंत्रता संग्राम* के द्वितीय चरण में *1927 मैं अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद*का गठन किया गया
🌱अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद का गठन *देसी रियासतों के कार्यकर्ताओं*ने मिलकर किया था
🌱कांग्रेस का समर्थन मिल जाने के बाद इसकी *शाखाएं स्थापित* की जाने लगी
🌱अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की स्थापना के बाद *राजस्थान में सक्रिय राजनीति का काल*प्रारंभ हुआ
*🌱अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के प्रथम अध्यक्ष बाबा रामचंद्र राव* थे और *श्री विजय पथिक को उपाध्यक्ष* बनाया गया
*🌱श्रीराम नारायण चौधरी*राजपूताना और मध्य भारत के *प्रांतीय सचिव* बनाए गए
🌱देशी राज्य लोक परिषद् का *मुख्यालय मुंबई* में रखा गया था
*🌱1928 में राजपूताना देशी राज्य लोक परिषद के प्रांतीय सम्मेलन* में रियासतों में राजाओं के संरक्षण में *उत्तरदायी सरकार की स्थापना करने का प्रस्ताव*पारित किया गया था
*🌱श्री रामनारायण चौधरी* में देशी राज्य लोक परिषद का *प्रांतीय अधिवेशन 1931 में अजमेर* में आयोजित किया था
🌱अखिल भारतीय देशी राज्य परिषद के *कराची अधिवेशन 1936 में जयनारायण व्यास को महामंत्री* बनाया गया था
*🌱31 दिसंबर 1945 से 1 जनवरी 1946*तक *अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् का सातवां अधिवेशन उदयपुर के सलोदिया मैदान* में आयोजित किया गया था
🌱 उदयपुर के सलोटिया मैदान में आयोजित *सम्मेलन की अध्यक्षता पंडित नेहरू*ने की थी
🌱यह *राजपूताना"में आयोजित किया जाने वाला *लोक परिषद का प्रथम अधिवेशन* था
*💧🐾राजपूताना सेंटर इंडिया छात्र एसोसिएशन🐾💧*
🌱राजपूताना और मध्य भारत* में विद्यार्थियों ने *स्वतंत्रता आंदोलन*में सक्रिय रुप से भाग लिया था
🌱राज्य में इन गतिविधियों का *केंद्र अजमेर* था
*🌱विद्यार्थियों की गतिविधियों को संगठित* रूप प्रदान करने के लिए *राजपूताना सेंट्रल इंडिया छात्र अधिवेशन* संपन्न किया गया
🌱यह अधिवेशन *31 दिसंबर 1935 से 2 जनवरी 1938 तक ब्यावर* में *K.F.नारीमन*की अध्यक्षता में हुआ था *🍃🌼तृतीय चरण 1938 प्रजामंडल आंदोलन व स्थापना🌼🍃*
🍓स्वतंत्रता संग्राम का *तृतीय चरण राज्य में 1938* से प्रारंभ हुआ जो *आजादी के बाद* तक चला
🍓तृतीय चरण में *प्रजामंडल आंदोलन अत्यधिक सक्रिय* हुए
🍓इन आंदोलनों के परिणाम स्वरुप राज्य में *प्रजामंडल की स्थापना* होने लगी
🍓 ब्रिटिश भारत का प्रशासन ब्रिटिश सरकार द्वारा *नियुक्त गवर्नर जनरल, गवर्नर अन्य अधिकारी* के हाथ में था
🍓जबकि भारत में *राजाओं का निरंकुश* शासन था
*🍓1857* के *असफल* स्वतंत्रता संग्राम ने *जनमानस में स्वतंत्रता की ललक* पैदा कर दी थी
*🍓1885* में ब्रिटिश भारत में *राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी* की स्थापना के बाद *स्वतंत्रता आंदोलन को एक नया स्वरूप* मिला था
🍓इसमेे जनता को *राष्ट्रीय कांग्रेस की धारा से नहीं*जोड़ा गया था *
🍓भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और महात्मा गांधी* की यही नीति थी की *रियासतों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं* किया जाए
🍓रियासतों के *नेता स्थानीय स्तर* पर भी अपनी समस्याओं से निपटे
🍓कांग्रेस पार्टी के द्वारा *नागपुर और मद्रास अधिवेशन* के बाद कांग्रेस ने दृढ शब्दों में *प्रस्ताव पारित* किया
🍓इस प्रस्ताव के तहत *देशी राजाओं*को अपने राज्यों में *शीघ्र प्रतिनिधि संस्थाएं और उत्तरदायी शासन* स्थापित करना चाहिए
*🍓दिसंबर 1927 में मुंबई* में अखिल भारतीय देशी लोकराज्य परिषद की स्थापना की गई
*🍃🌼हरिपुरा अधिवेशन🌼🍃*
1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा हरिपुरा में अधिवेशन का आयोजन किया गया
🍓इस अधिवेशन की *अध्यक्षता सुभाष चंद्र बोस* ने की थी
🍓इस अधिवेशन के द्वारा *रियासतों की जनता* को अपने अपने राज्यों में *उत्तरदायी शासन का लक्ष्य प्राप्त* करने के लिए
*🍓स्वतंत्र संगठन बनाकर* आंदोलन करने और *जन जागृति फैलाने* का आह्वान किया गया
*🍓पंडित जवाहरलाल नेहरु* अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के अध्यक्ष बने थे
🍓इस अधिवेशन में *कांग्रेस ने पहली बार निर्णय लिया कि कांग्रेस को रियासती जनता के संघर्ष*में साथ देना चाहिए
*🍓हरिपुरा अधिवेशन* में देशी रियासतों को *अपना कार्य क्षेत्र घोषित* किया गया
🍓यह आंदोलन *स्थानीय नेताओं के द्वारा स्थानीय संगठनों*के माध्यम से चलाया जावेगा
🍓इन संगठनों को *प्रजामंडल या प्रजा परिषद* कहा गया
*🍓1938* के बाद राजस्थान की लगभग *सभी रियासतों में प्रजामंडल*की स्थापना हुई
🍓सभी *रियासतों में उत्तरदायी शासन*की मांग को लेकर आंदोलन किए जाने लगे
🍓इससे *देसी राज्यों में असाधारण जागृति* उत्पन्न हुई और देशी राज्य की *जनता को राष्ट्र की मुख्यधारा* में सम्मिलित किया गया
🍓राज्य में संचालित हो रहे आंदोलनों को *इन संस्थाओं से नवीन प्रेरणा* मिली
🍓जिससे स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद *देसी राज्यों के एकीकरण* का कार्य संभव हो सका
🍓प्रजामंडलो की भूमिका *भारत को आजाद* कराने की दिशा में उल्लेखनीय थी
*🍓कांग्रेस ने अपने त्रिपुरी अधिवेशन 1939* में देशी रियासतों की *राजनीतिक संस्थाओं*की गतिविधियों के साथ अपनी *अहस्तछेप नीति का परित्याग कर पूर्ण सहयोग देने की नीति का प्रस्ताव*पारित किया गया
*🍓अखिल भारतीय देशी राज्य परिषद* ने *पंडित जवाहरलाल नेहरु की अध्यक्षता में लुधियाना अधिवेशन 19 मार्च 1939*में संकल्प पारित किया
*🍓रियासतों की जनता द्वारा उत्तरदायी शासन* की स्थापना के लिए संघर्ष *कांग्रेस के पूर्ण सहयोग से कांग्रेस के मार्गदर्शन* में शुरू होना चाहिए
🍓इन सभी वजह से राज्य में *प्रजामंडल की स्थापना* कि गआ 🍓राज्य में पहला प्रजामंडल *जयपुर प्रजामंडल*था
🍓इसकी स्थापना *1931* में की गई थी
🍓लेकिन यह प्रजामंडल *लगातार 5 वर्षों तक निष्क्रिय* बना रहा
*🍓1938 में जमनालाल बजाज और अर्जुन लाल सेठी* के द्वारा *जयपुर प्रजामंडल* का फिर से पुनर्गठन किया गया
*🍓प्रजामंडलो की मुख्य मांग रियासतो मैं उत्तरदायी शासन* की स्थापना थी
///// *ममता जी शर्मा* /////
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