केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना : पर्यावरण की अनदेख
★सन्दर्भ :- केन-बेतवा परियोजना से करीब 6,000 एकड़ जंगल पर विपरीत असर पड़ने वाला है, इसमें ज्यादातर हिस्सा पन्ना टाइगर रिजर्व का है।
★ सरकार ज़ल्द ही मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश में बहने वाली केन और बेतवा नदियों को आपस में जोड़ने की हरी झंडी देने वाली है.
★ बावज़ूद इसके कि इस परियोजना से जुड़ी तमाम तरह की पर्यावरण संबंधी चिंताएं ज़ताई जा चुकी हैं.
★ बावज़ूद इसके कि इस परियोजना से जुड़ी तमाम तरह की पर्यावरण संबंधी चिंताएं ज़ताई जा चुकी हैं.
★ केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की फॉरेस्ट एडवायज़री कमेटी (एफएसी) केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को हरी झंडी दे चुकी है. और ‘परियोजना के आगे बढ़ने में अब कोई रुकावट नहीं है. ज़ल्दी ही इसे पर्यावरण मंत्री अंतिम अनुमति दे देंगे.
परिप्रेक्ष्य :-
★ इस परियोजना के पहले चरण में करीब 10,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. सरकार का अनुमान है कि परियोजना से 6,00,000 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई होगी.
★ साथ ही मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश में रहने वाले करीब 13.4 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा.
★ इसके तहत मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले के दौढ़न गांव के पास केन नदी पर एक बांध बनाया जाएगा.
★यहां से 60 मेगावॉट जल विद्युत का उत्पादन भी किया जाएगा.
=> पर्यावरण पर प्रभाव -
★ हालांकि इस अनुमानित उपलब्धि की पर्यावरण के स्तर पर क्या कीमत चुकानी होगी, उसकी तरफ सरकार का ध्यान शायद नहीं है.
★ पर्यावरण के जानकारों के मुताबिक यह परियोजना शुरू से विवादित रही है क्योंकि इसके तहत करीब 6,000 एकड़ में फैले जंगलों की बलि चढ़ जाने का अनुमान है.
★ यही नहीं, बर्बाद होने वाले इस जंगल क्षेत्र में से करीब 5,500 एकड़ का हिस्सा तो सिर्फ पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का होगा.
★ यह बाघ संरक्षित क्षेत्र (टाइगर रिज़र्व) है और एक बार यहां से बाघों के पूरी तरह ख़त्म हो जाने के बाद करोड़ों रुपए ख़र्च कर के उन्हें दोबारा इन जंगलों में बसाया गया है. लेकिन अब इन पर फिर संकट आ सकता है.
★ इस परियोजना के पहले चरण में करीब 10,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. सरकार का अनुमान है कि परियोजना से 6,00,000 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई होगी.
★ साथ ही मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश में रहने वाले करीब 13.4 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा.
★ इसके तहत मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले के दौढ़न गांव के पास केन नदी पर एक बांध बनाया जाएगा.
★यहां से 60 मेगावॉट जल विद्युत का उत्पादन भी किया जाएगा.
=> पर्यावरण पर प्रभाव -
★ हालांकि इस अनुमानित उपलब्धि की पर्यावरण के स्तर पर क्या कीमत चुकानी होगी, उसकी तरफ सरकार का ध्यान शायद नहीं है.
★ पर्यावरण के जानकारों के मुताबिक यह परियोजना शुरू से विवादित रही है क्योंकि इसके तहत करीब 6,000 एकड़ में फैले जंगलों की बलि चढ़ जाने का अनुमान है.
★ यही नहीं, बर्बाद होने वाले इस जंगल क्षेत्र में से करीब 5,500 एकड़ का हिस्सा तो सिर्फ पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का होगा.
★ यह बाघ संरक्षित क्षेत्र (टाइगर रिज़र्व) है और एक बार यहां से बाघों के पूरी तरह ख़त्म हो जाने के बाद करोड़ों रुपए ख़र्च कर के उन्हें दोबारा इन जंगलों में बसाया गया है. लेकिन अब इन पर फिर संकट आ सकता है.
एनबीडब्ल्यू (नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ) के अनुसार ‘इस परियोजना के लिए जंगल से करीब 18 लाख पेड़ काटे जा सकते हैं. इसका अर्थ है पन्ना नेशनल पार्क का पूरी तरह ख़त्म हो जाना.
★ इससे सिर्फ बाघों पर ही नहीं, कई किस्म के गिद्धों और केन नदी में रहने वाले घड़ियालों पर भी विपरीत असर पड़ना तय है.’
★ इससे सिर्फ बाघों पर ही नहीं, कई किस्म के गिद्धों और केन नदी में रहने वाले घड़ियालों पर भी विपरीत असर पड़ना तय है.’
★ ग़ौरतलब है कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना ऐसी ही उन 30 परियोजनाओं में से एक है, जिनके बारे में पहली बार 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने विचार शुरू किया था.
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