संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम United Nations Environment Programme) – UNEP

स्थापना , मुख्यालय एवं उद्देश्य

इस कार्यक्रम की स्थापना 1972 में मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के उप-परिणाम के रूप में हुई थी। इस संगठन का उद्देश्य मानव पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सभी मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना तथा पर्यावरण सम्बन्धी जानकारी का संग्रहण, मूल्यांकन एवं पारस्परिक आदान-प्रदान करना है। इसका मुख्यालय नैरोबी ( केन्या) में है।



यूनेप के कार्य (UNEP Functions):

  • यूनेप पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं के तकनीकी एवं सामान्य निदान हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।
  • इसके कार्यक्रमों के अंतर्गत 1975 में स्थापित भूमंडलीय पर्यावरणीय निगरानी प्रणाली (जीईएमएस) GEMS शामिल है, जिसके द्वारा केंद्रों के एक तंत्र से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर विश्व के जलवायु परिवर्तनों, विश्व की पारिस्थितिक स्थिति, जल प्रदूषण तथा उष्णकटिबंधीय वनों से जुड़ी सूचनाएं उपलब्ध करायी जाती हैं।
  • 1985 में स्थापित भूमंडलीय संसाधन सूचना डाटाबेस (जीआरआईडी) GRID द्वारा उपलब्ध आंकड़ों की उपयोगी सूचनाओं में बदला जाता है। इन्फोटेरा पर्यावरणीय सूचनाओं एवं विशेषज्ञता हेतु एक कम्प्यूटरीकृत संदर्भात्मक सेवा है।
  • संभावी विषैले रसायनों को अंतरराष्ट्रीय पंजिका, (आईआरपीटीसी) IRPTC राष्ट्रीय संवाददाताओं के एक नेटवर्क के माध्यम से 100 देशों में कार्य करती है तथा पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए खतरनाक सिद्ध होने वाले रसायनों पर सूचना उपलब्ध कराती है।
  • इसके आलावा कई सलाहकारी सेवाएं तथा समाशोधन द्वारा सरकारी निजी समूहों, अंतरसरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों से अतिरिक्त संसाधन जुटाये जाते हैं। यूनेप द्वारा अत्यावश्यक पर्यावरणीय सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र केंद्र (जेनेवा) तथा अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय तकनीक केंद्र (ओसाका) की स्थापना की गयी है। यूनेप अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों के साथ सहयोग करते हुए सैकड़ों परियोजनाओं पर कार्य कर चुका है।
यूनेप द्वारा किए गए पहल (Initiatives by UNEP):

  • पर्यावरण सुरक्षा हेतु अंतरराष्ट्रीय नियमों व आचारों के अंगीकरण में यूनेप की भूमिका प्रेरणादायी रही है। 1985 में ओजोन परत की सुरक्षा हेतु एक संधि को विएना सम्मेलन में स्वीकार किया गया। इस संधि के परिवर्ती संशोधनों के अनुसार भागीदार राष्ट्रों ने क्लोरोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन में चरणबद्ध कटौती करने का समझौता अंगीकार किया।
  • 1989 में खतरनाक कचरे के पारदेशीय संचलन तथा निपटान के नियंत्रण हेतु की गयी बेसल संधि 1992 से लागू हुई। यह संधि विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों में किये जाने वाले कचरे के जमाव को रोकने का प्रयास करती है।
  • यूनेप द्वारा 1992 में रियो डी जेनरो सम्मेलन (पृथ्वी सम्मेलन) के आयोजन में व्यापक मदद उपलब्ध कराई गयी। इस सम्मेलन में संवहनीय भूमंडलीय विकास के लिए एक व्यापक कार्ययोजना (एजेंडा 21) को स्वीकार किया गया। पृथ्वी सम्मेलन के आग्रह पर महासभा ने एक संवहनीय विकास आयोग की स्थापना की जो पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से जूझने वाली गतिविधियों पर निगरानी रखता है।
  • इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण वित्तीय कार्यतंत्र भूमंडलीय पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) है, जो यूनेप, यूएनडीपी एवं विश्व बैंक के संयुक्त प्रबंधन में कार्य करता है।
  • यूनेप के प्रायोजकत्व में गंभीर रूप से सूखाग्रस्त देशों में मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु संयुक्त राष्ट्र संधि (1994) को अंगीकार किया गया। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र ढांचागत समझौता भी 1994 से प्रभावी हुआ। यूनेप द्वारा संकटापन्न जंतुओं व पादपों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर की गयी 1973 की संधि को भी प्रशासित किया जाता है। 1993 में जैव-विविधता संधि लागू हुई।
  • यूनेप अधिवासन क्षेत्रों में पर्यावरण मानदंडों की विकृति को रोकने के लिए यूएनसीएचएस के साथ भी सहयोग करता है।
यूनेप की प्राथमिकता सूची (UNEP Priority List)

  • वर्तमान में जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ जल संसाधन, निर्वनीकरण, मरुस्थलीकरण, वन्य जीव संरक्षण, विषैले रसायनों व खतरनाक कचरे का सुरक्षित निपटान, सागरीय व तटीय क्षेत्रों का परिरक्षण, मानव स्वास्थ्य पर पर्यावरण के क्षरण का प्रभाव तथा जैव-प्रौद्योगिकी इत्यादि यूनेप की प्राथमिकता सूची में सबसे आगे हैं।
  • प्राकृतिक संसाधनों के कुप्रबंधन से निबटने हेतु तैयार किये गये सार्वजानिक शिक्षा कार्यक्रमों तथा पर्यावरण के प्रति संवेदी विकास योजनाओं को बढ़ावा देने वाले प्रयासों को यूनेप द्वारा मजबूत समर्थन दिया जाता है।
  • यूनेप स्टेट ऑफ दि एनवायरनमेंट रिपोट्स तथा ग्लोबल एनवायरनमेंट आउटलुक का प्रकाशन करता है।


By Dr. Vijender A senior Faculty of Delhi , For Audio, video classes and notes , you can contact on 8447410108 . and please subscribe the Blog for continue study material .

Comments