Exam Related Questions on Bullet Train (बुलेट ट्रेन के पीछे रहस्य)
EXAM BASED ANALYSIS: By Dr. Vijay, An Expert of IAS (8447410108)
क्या है बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ? क्या देश को वाकई इसकी जरूरत है?
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★ मुंबई-अहमदाबाद के बीच 2022 तक बुलेट ट्रेन चलाने का टारगेट है। यह ऐसी ट्रेन होगी जो 508 किमी का सफर तीन घंटे में तय करेगी। अभी दुरंतो दोनों शहरों के बीच का सफर साढ़े पांच घंटे में तय करती है। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की कॉस्ट 1.20 लाख करोड़ रुपए है। यानी हर किमी पर 236 करोड़ रुपए का खर्च है। ऐसे में कई सवाल भी उठ रहे हैं। क्या देश और मुंबई-अहमदाबाद को इस ट्रेन की जरूरत है? क्या इसकी बजाय एयर ट्रेवल के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करना ज्यादा फायदेमंद नहीं होता?
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सबसे पहले जानिए : क्या है बुलेट ट्रेन प्राेजेक्ट?
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★ *यह प्रोजेक्ट मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (MAHSR) कहलाता है।* 1.20 लाख करोड़ रुपए के इस प्रोेजेक्ट की अभी नींव रखी जा रही है। मुंबई से अहमदाबाद के बीच 508 किमी रूट पर 2022 तक बुलेट ट्रेन चलाने का टारगेट है।
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12 स्टेशन, 350 kmph स्पीड, 3 घंटे का सफर
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मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन की मैक्सिमम स्पीड 350 किमी/घंटा होगी। अभी यहां नॉर्मल ट्रेन से दूरी 7-8 घंटे की है।
- अगर बुलेट ट्रेन 12 स्टेशनों पर रुकेगी तो 3 घंटे में 508 किमी का सफर पूरा करेगी। यानी एवरेज स्पीड 170 किमी/घंटा होगी।
- अगर 4 ही स्टेशनों मुंबई, अहमदाबाद, सूरत और वड़ोदरा पर रुकेगी तो दो घंटे में सफर पूरा कर लेगी। ऐसे में एवरेज स्पीड 254 किमी/घंटा होगी।
- इस रूट पर 12 स्टेशन मुंबई, ठाणे, विरार, भोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भड़ूच, वड़ोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती हो सकते हैं। इनमें मुंबई स्टेशन अंडरग्राउंड होगा।
बुलेट ट्रेन के साथ भारत 15 वां देश होगा
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भारत अब दुनिया के उन 15 देशों में शुमार होने की राह पर आ गया है, जहां बुलेट ट्रेन चल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी के 14 सितंबर को बहु-प्रतीक्षित अहमदाबाद-मुंबई हाईस्पीड रेल परियोजना की आधारशिला रखने के साथ बुलेट ट्रेन पर जमीनी काम जल्दी शुरू हो जाएगा। रेल मंत्रालय की योजना है कि यह परियोजना 15 अगस्त, 2022 तक साकार हो जाए।
बहरहाल, अभी तक दुनिया के प्रमुख देशों में भारत ही ऐसा रहा है, जिसके पास एक भी हाईस्पीड कॉरिडोर नहीं था। मगर जापान की मदद से यह साकार होगा। पहले रूसी मदद से कोलकाता में मेट्रो रेल आई थी और अब दूसरी उससे भी अहम परियोजना यह होगी।
बहरहाल, अभी तक दुनिया के प्रमुख देशों में भारत ही ऐसा रहा है, जिसके पास एक भी हाईस्पीड कॉरिडोर नहीं था। मगर जापान की मदद से यह साकार होगा। पहले रूसी मदद से कोलकाता में मेट्रो रेल आई थी और अब दूसरी उससे भी अहम परियोजना यह होगी।
हाईस्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट
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हमारी बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए वडोदरा में एक हाईस्पीड रेल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट(High speed railways training institute ) भी बनाया जा रहा है,जो जरूरी चार हजार कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेगा। यह 2020 तक पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा। इससे भविष्य के लिए भारत में हाईस्पीड तकनीक के लिए प्रतिभाओं को निखारा जा सकेगा। अभी तक भारतीय रेल के करीब तीन सौ कर्मचारियों को जापान में प्रशिक्षण दिया गया है।
सबसे लंबी सुरंग(Under water tunnel)
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इस परियोजना पर भारत की सबसे लंबी 21 किलोमीटर की सुरंग भी बनेगी, जिसका सात किमी हिस्सा पानी में होगा। परियोजना के निर्माण के दौरान 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इस परियोजना के कई जमीनी कामों और औपचारिकताओं को पहले ही पूरा किया जा चुका है और जरूरी नियुक्तियां की जा चुकी हैं। इस परियोजना में रेल मंत्रलय के साथ गुजरात और महाराष्ट्र सरकार भी क्रियान्वयन में सहयोग देगी। परियोजना को लेकर पहले से ही जापान से कई बार संवाद हो चुका है।
संप्रग शासन के दौरान ही शुरुआत हुई थी
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संप्रग(UPA) शासन के दौरान ही इस पर संवाद की शुरुआत हुई थी, लेकिन तब ब्याज दरें और राशि कम थी और शर्ते भी कठोर। मगर राजग सरकार की कोशिशों से 80 फीसदी व्यय जापान वहन करने को राजी हुआ। वैसे तो 2011 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय तीव्र गति रेल प्राधिकरण की स्थापना करने का फैसला किया था और 350-350 किमी प्रति घंटे की गति के छह गलियारों का पूर्व
भारतीय रेलवे और विश्व रेलवे(Indian railway and World railway)
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कोरिया,जापान और चीन में गाड़ियां 350 किमी तक की गति से चल रही हैं। वहीं भारत में हमारी परंपरागत तकनीक की रेल गाड़ियों की सीमित रफ्तार है। भारत में बड़ी लाइन की एक्सप्रेस गाड़ियों की औसत रफ्तार 50 किमी प्रति घंटा है, जबकि ईएमयू 40 और पैसेंजर की 36 किमी से कुछ ज्यादा है। वहीं मालगाड़ी की रफ्तार 25 किमी से कम है।
आज भी हमारी सबसे तेज रफ्तार गाड़ी गतिमान एक्सप्रेस 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दिल्ली से आगरा के बीच चल रही है। इसी खंड पर 2005 में 150 किमी की गति तय हुई थी। तमाम मौकों पर गति बढ़ाने की बात हुई, लेकिन कुछ रेल दुर्घटनाओं के नाते रेलवे फैसला नहीं ले पाई। माधव राव सिंधिया, सी.के. जाफर शरीफ, लालू प्रसाद, दिनेश त्रिवेदी और सुरेश प्रभु ने तेज रफ्तार की दिशा में कुछ काम किया, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। अब पहली बार इस दिशा में कुछ ठोस नीतिगत फैसला लिया गया है।
आज भी हमारी सबसे तेज रफ्तार गाड़ी गतिमान एक्सप्रेस 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दिल्ली से आगरा के बीच चल रही है। इसी खंड पर 2005 में 150 किमी की गति तय हुई थी। तमाम मौकों पर गति बढ़ाने की बात हुई, लेकिन कुछ रेल दुर्घटनाओं के नाते रेलवे फैसला नहीं ले पाई। माधव राव सिंधिया, सी.के. जाफर शरीफ, लालू प्रसाद, दिनेश त्रिवेदी और सुरेश प्रभु ने तेज रफ्तार की दिशा में कुछ काम किया, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। अब पहली बार इस दिशा में कुछ ठोस नीतिगत फैसला लिया गया है।
भारतीय रेल साम्राज्य
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भारतीय रेल 17 क्षेत्रीय रेलों और 68 मंडलों के प्रशासनिक ताने बाने और करीब 66 हजार किमी रेलमार्ग के सहारे देश का सबसे बड़ा नियोजक भी है। रोज यह करीब ढाई करोड़ मुसाफिरों यानी ऑस्ट्रेलिया की पूरी आबादी के बराबर लोगों को गंतव्य तक पहुंचाती है। इसकी 19 हजार से अधिक रेलगाडियों में 7421 मालगाड़ियां और बाकी यात्री गाड़ियां हैं। वैसे तो तेज रफ्तार गाड़ी पर काफी दिनों से विचार चल रहा था, लेकिन वह अध्ययनों से आगे नहीं बढ़ पाया। ममता बनर्जी ने अपने रेलमंत्री काल में 2010 में विजन-2020 में 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा की गाड़ियां चलाने की परिकल्पना के साथ 250-350 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार वाली बुलेट ट्रेनों की बात कही थी।
इसी विचार को आगे बढ़ाने के लिए 2012 में राष्ट्रीय उच्च गति प्राधिकरण बनाने का फैसला हुआ, लेकिन किसी गलियारे को मंजूरी नहीं मिल पाई। जबकि दुनिया में इस समय 40 हजार किमी तीव्र गति के गलियारे बन रहे हैं। दुनिया में जापान, ऑस्टिया, बेल्जियम, चीन, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, ताइवान, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में बुलेट ट्रेन चलती है, लेकिन सबसे ज्यादा हाई स्पीड नेटवर्क चीन के पास है जो करीब 22 हजार किमी लंबा हो गया है। अब भारतीय रेल भी इन देशों की सूची में शामिल होने की ओर अग्रसर है। भारतीय बुलेट ट्रेन का 92 फीसदी हिस्सा इलेवेटेड होगा जबकि छह फीसद सुंरंग होगी। इस बुलेट ट्रेन परियोजना में जापान 88 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दे रहा है। जापान का चयन पहले ही इस नाते किया गया था क्योंकि यह बुलेट ट्रेन के मामले में अग्रणी रहा है और पांच दशकों में दुर्घटना रहित संचालन का इसका शानदार रिकार्ड रहा है।
इसी विचार को आगे बढ़ाने के लिए 2012 में राष्ट्रीय उच्च गति प्राधिकरण बनाने का फैसला हुआ, लेकिन किसी गलियारे को मंजूरी नहीं मिल पाई। जबकि दुनिया में इस समय 40 हजार किमी तीव्र गति के गलियारे बन रहे हैं। दुनिया में जापान, ऑस्टिया, बेल्जियम, चीन, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, ताइवान, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में बुलेट ट्रेन चलती है, लेकिन सबसे ज्यादा हाई स्पीड नेटवर्क चीन के पास है जो करीब 22 हजार किमी लंबा हो गया है। अब भारतीय रेल भी इन देशों की सूची में शामिल होने की ओर अग्रसर है। भारतीय बुलेट ट्रेन का 92 फीसदी हिस्सा इलेवेटेड होगा जबकि छह फीसद सुंरंग होगी। इस बुलेट ट्रेन परियोजना में जापान 88 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दे रहा है। जापान का चयन पहले ही इस नाते किया गया था क्योंकि यह बुलेट ट्रेन के मामले में अग्रणी रहा है और पांच दशकों में दुर्घटना रहित संचालन का इसका शानदार रिकार्ड रहा है।
बुलेट ट्रेन पानी के नीचे होगी
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*बुलेट ट्रेन का 7 किमी हिस्सा समुद्र के अंदर होगा*
- 508 किमी के रूट में से 351 किमी हिस्सा गुजरात में होगा
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