भारत-चीन विवाद: डोकलाम मामले में कौन जीता, कौन हारा? - 28 अगस्त 2017


Indo-China Dispute: Who won the Doklam case, who lost? - 28 August 2017

-By Dr. Vijender (IAS Expert, 8447410108)



डोकलाम (Doklam) का इलाका


- चीन सिक्किम (Sikkim)सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा था। यह घटना जून में सामने आई थी। डोकलाम के पठार में ही चीन (China), सिक्किम (Sikkim) और भूटान (Bhutan) की सीमाएं मिलती हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर दावा करते हैं। भारत भूटान का साथ देता है। भारत में यह इलाका डोकलाम और चीन में डोंगलाेंग (Dongleng)कहलाता है।
- चीन ने 16 जून से यह सड़क बनाना शुरू की थी। भारत ने विरोध जताया तो चीन ने घुसपैठ कर दी थी। चीन ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए थे।
- दरअसल, सिक्किम का मई 1975 में भारत में विलय हुआ था। चीन पहले तो सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता था। लेकिन 2003 में उसने सिक्किम को भारत के राज्य का दर्जा दे दिया। हालांकि, सिक्किम के कई इलाकों को वह अपना बताता रहा है।

72 दिन में टकराव कितना बढ़ा?

- चीन ने अपने विदेश मंत्रालय और सरकारी मीडिया के जरिए भारत को कई धमकियां दीं। हालांकि, भारत की तरफ से संयमित बयान दिए गए। सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने संसद में कहा कि बातचीत से ही इस मसले का हल निकलेगा।
- इसी बीच, 15 अगस्त को चीन के कुछ सैनिकों ने लद्दाख (Ladakh) की पेंगगोंग लेक (Penggong lake)के करीब भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को रोकने की कोशिश की। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच पहले हाथापाई हुई। इसके बाद मामला पत्थरबाजी तक पहुंच गया।
- इसके बाद माना गया कि दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ेगा लेकिन डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए डोकलाम विवाद 72 दिन बाद सुलझता दिखा।
किस समझौते की वजह से होता रहता है विवाद?
- विवाद की वजह 1890 का वह समझौता है, जो ब्रिटिश शासन ने चीन के चिंग राजवंश (Ching Dynasty) के साथ किया था। उसमें अलग-अलग जगहों पर बॉर्डर दिखाई गई थीं। उसके मुताबिक, एक बड़े हिस्से पर भूटान का कंट्रोल है, जहां भारत का उसे सपोर्ट और मिलिट्री कोऑपरेशन हासिल है।
- इसी समझौते के हिस्से में आने वाले डोकलाम के पठार पर भारत और चीन के जवान शून्य डिग्री से नीचे के तापमान में तैनात हैं। ये तैनाती नॉर्मल नहीं है।
 इस बार चीन को रोकना क्यों जरूरी था?
चीन जहां सड़क बना रहा हैउसी इलाके में 20 किमी हिस्सा सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह ‘चिकेन नेक’ (Siliguri Corridor, or Chicken's Neck)भी कहलाता है। 
-चीन का इस इलाके में दखल बढ़ा तो भारत की कनेक्टिविटी पर असर पड़ेगा।
- भारत के कई इलाके चीन की तोपों की रेंज में  जाएंगे।
अगर चीन ने सड़क को बढ़ाया तो वह  सिर्फ भूटान के इलाके में घुस जाएगाबल्कि वह भारत के सिलीगुड़ी काॅरिडोर के सामने भी खतरा पैदा कर देगा। 
दरअसल,200 किमी लंबा और 60 किमी चौड़ा सिलीगुड़ी कॉरिडोर ही पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी राज्यों से जोड़ता है। 
डोकलाम: भारत की बड़ी कूटनीतक जीत, दोनों देश सेना हटाने पर सहमत

भारत और चीन के बीच सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में लगभग तीन महीने से चला रहा गतिरोध आखिरकार खत्म हो गया है। भारत और चीन डोकलाम से अपनी-अपनी सेनाएं हटाने को तैयार हो गए हैं। इसे भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। 

भारत लगातार अपना यह स्टैंड दोहरा रहा था कि पहले दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटें, उसके बाद ही इस मसले पर बातचीत हो सकती है, लेकिन चीन इस बात पर अड़ा हुआ था कि भारत पहले अपनी सेना पीछे हटाए। चीन का कहना था कि यह बातचीत की बुनियादी शर्त है, लेकिन भारत अपने रुख पर कायम रहा। इस बीच चीनी मीडिया और चीनी सेना के अफसरों की ओर से लगातार भारत तो युद्ध की धमकियां दी जाती रहीं। चीन की ओर से यहां तक कह दिया गया था कि भारत को 1962 के युद्ध का अंजाम याद रखना चाहिए। जवाब में रक्षा मंत्री अरुण जेटली  (Arun Jaitly)ने कहा था कि आज का भारत 1962 का भारत नहीं है।
गौरतलब है कि यह पूरा विवाद जून के महीने तब शुरू हुआ था, जब चीन ने भूटान के इलाके डोकलाम में घुसकर सड़क निर्माण का काम शुरू किया था। चीन डोकलाम को अपना इलाका बताता है, लेकिन भारत और भूटान चीन के इस दावे को नहीं मानते। भारत के सैनिकों ने इस पर आपत्ति जताते हुए सड़क निर्माण के काम को बंद करवा दिया था। इसी घटना के बाद दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद की शुरुआत हुई। दोनों देशों की सेनाओं ने वहां तंबू भी गाड़ लिए थे।
ब्रिक्स सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं. इससे पहले सेना हटाने का ये फ़ैसला अहम है.सम्मेलन के लिए यह ज़रूरी था कि ब्रिक्स के दो महत्वपूर्ण सदस्य देश तनावमुक्त माहौल में एक साथ बैठ पाएं और सहजता के साथ बातचीत कर सकें.चीन ने यह अल्टीमेटम दिया था कि जब तक भारत डोकलाम से अपनी सेना नहीं हटाता है, तब तक माहौल अच्छे नहीं समझे जाएंगे.
डोकलाम से सेना हटाने के दोनों देशों के फैसले के बाद तनाव कम होगा.

यह चीन से ज्यादा भारत की कामयाबी क्यों है?

1) चीन ने थोपी थी शर्त

- चीन ने अगस्त की शुरुआत में डोकलाम विवाद पर 15 पेज और 2500 शब्दों का बयान जारी किया था। उसने आरोप लगाया था कि जून में भारत के 400 जवान उसके इलाके में रोड कंस्ट्रक्शन रोकने के लिए घुस आए थे। भारतीय जवानों ने वहां तंबू गाड़ दिए थे। चीन का दावा था कि अभी भारत के 40 सैनिक और एक बुलडोजर उसके इलाके में मौजूद हैं।
- चीन ने भारत से कहा था कि भूटान तो बहाना है। उसके बहाने भारत दखल दे रहा है। उसे तुरंत और बिना शर्त वहां से अपने सैनिक हटा लेने चाहिए।

2) भारत के मुताबिक अब चीन को भी हटाने होंगे जवान

- चीन भारत से ही कहता रहा कि वह अपने सैनिक हटाए, लेकिन विदेश मंत्रालय का सोमवार को आया बयान यह इशारा करता है कि चीन भी अपने जवानों का डोकलाम सेडिसइंगेजमेंट’ ('Desigmentation') करेगा। यानी सिर्फ भारत पर पीछे हटने की शर्त थोप रहे चीन को भी अपने जवान पीछे हटाने के लिए राजी होना पड़ा है।

3) अलग संकेत दे रहा है चीन

- विदेश मंत्रालय का बयान अाने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बीजिंग (Beijing) में स्टेटमेंट जारी किया। भारत के दावे से अलग चीन ने कहा कि भारत के जवान डोकलाम से पीछे हटे हैं। लेकिन चीन के सैनिक उस इलाके में बने रहेंगे और अपनी संप्रभुता (सॉवरनिटी) कायम रखेंगे।

- न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, चीन ने कहा है कि वह डोकलाम के इलाके में पैट्रोलिंग जारी रखेगा।


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